कार से टकराते बचा वह आदमी भी कार चलाती स्त्री को देखकर मुस्कराया
गोया औरत के हाथों मारा जाना भी कोई सुख हो
हिंदी समय में पंकज चतुर्वेदी की रचनाएँ